सोमवार, 15 सितंबर 2014

डॉक्टर आयबलित - 2.12

अध्याय 12

डॉक्टर बच गया!


सिर्फ उल्लू बूम्बा को समुद्री-डाकुओं का कोई डर नहीं था. उसने बड़े सुकून से अव्वा और ख्रू-ख्रू से कहा:
 “कैसे बेवकूफ़ हो तुम! किस बात का डर है? क्या तुमको नहीं मालूम कि वो जहाज़ जिस पर डाकू हमारा पीछा कर रहे हैं, जल्दी ही डूबने वाला है? याद करो कि चूहे ने क्या कहा था? उसने कहा था कि जहाज़ आज ज़रूर डूब जाएगा. उसमें काफ़ी चौड़ी दरार पड़ गई है, और वो पानी से भर चुका है. और, जहाज़ के साथ-साथ समुद्री-डाकू भी डूब जाएँगे.
तुम किस बात से डर रहे हो? समुद्री-डाकू डूब जाएँगे, और हम सही-सलामत बच जाएँगे.”

मगर ख्रू-ख्रू रोता रहा.

 “जब तक समुद्री-डाकू डूबेंगे, वे मुझे और कीका को भून भी चुके होंगे!” उसने कहा.

इस बीच समुद्री-डाकू नज़दीक आते जा रहे थे.

सामने, जहाज़ की नोक पे उनका मुखिया बर्मालेय खड़ा था. वह तलवार घुमाते हुए ज़ोर से चिल्लाया:

 “ ऐ, तू बन्दरों के डॉक्टर! बन्दरों का इलाज करने का बहुत कम वक़्त बचा है तेरे पास – जल्दी ही हम तुझे समुन्दर में फेंक देंगे! वहाँ शार्क्स तुझे निगल जाएँगी.”

डॉक्टर ने जवाब में चिल्लाकर कहा:

 “सावधान, बर्मालेय, कहीं शार्क्स तुझे ही न निगल जाएँ! तेरे जहाज़ में पानी भर रहा है, और तुम लोग जल्दी ही समुन्दर के पेंदे की ओर जाओगे!”

 “बकवास करता है!” बर्मालेय चिल्लाया. “अगर मेरा जहाज़ डूब रहा होता, तो इसमें से चूहे भाग जाते!”

 “चूहे तो कब के भाग गए, और जल्दी ही अपने सारे डाकुओं के साथ तू समुन्दर के पेंदे में होगा!”

तभी डाकुओं ने देखा कि उनका जहाज़ धीरे-धीरे पानी में डूब रहा है. वे डेक पर भाग-दौड़ करने लगे, रोने लगे, चीखने लगे:

 “बचाओ!”

मगर कोई भी उन्हें बचाना नहीं चाहता था.

जहाज़ पानी में गहरे-गहरे डूबता जा रहा था. जल्दी ही समुद्री डाकू भी पानी में डूब गए.

वे लहरों पर हाथ-पैर मार रहे थे, और लगातार चिल्लाए जा रहे थे:

 “मदद करो, मदद करो, हम डूब रहे हैं!”

बर्मालेय तैरते हुए डॉक्टर वाले जहाज़ के पास आया और रस्सी पकड़ कर डेक पर चढ़ने लगा. मगर 

कुत्ते अव्वा ने अपने दाँत निकाले और गरजते हुए कहा:
”र्-र्-र्र--!...” बर्मालेय डर गया, चीख़ा और सिर के बल वापस पानी में गिर गया.



 “मदद करो!” वो चिल्ला रहा था. “बचाओ! मुझे पानी से बाहर निकालो!”

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