अध्याय 12
बेवकूफ़ जानवर
डॉक्टर आयबलित जल्दी से बीमार बन्दरों के
पास पहुँचा. वे ज़मीन पर पड़े थे और कराह रहे थे. वे बेहद बीमार थे.
डॉक्टर ने बन्दरों का इलाज आरंभ कर दिया.
हर बन्दर को दवा देनी थी: किसी को दवा की बूंदें, किसी को पुड़िया. हर बन्दर के
माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी रखनी थी, और पीठ और सीने पर सरसों का लेप लगाना था.
बीमार बन्दर बहुत सारे थे, और डॉक्टर –
अकेला.
एक ही आदमी इतना काम नहीं कर सकता था.
कीका, मगरमच्छ, कारूदो और चीची पूरी ताक़त
से उसकी मदद कर रहे थे, मगर वो फ़ौरन ही थक गए, और डॉक्टर को दूसरे सहायकों की
ज़रूरत पड़ी.
वह रेगिस्तान गया, वहाँ, जहाँ सिंह रहता
था.
“मेहेरबानी करके बन्दरों का इलाज करने में मेरी
मदद कीजिए”, उसने सिंह से कहा.
सिंह बड़ा घमण्डी था. उसने गुर्राते हुए
आयबलित की ओर देखा:
“क्या तुम्हें मालूम है कि मैं कौन हूँ? मैं –
सिंह हूँ, मैं – जानवरों का राजा हूँ! और तुम मुझसे विनती करने की हिम्मत कर रहे
हो कि मैं किन्हीं गन्दे-सन्दे बन्दरों का इलाज करूँ!
तब डॉक्टर गैंडों के पास गया.
“गैण्डों, गैण्डों!” उसने कहा, “बन्दरों का इलाज
करने में मेरी मदद कीजिए! वे बहुत सारे हैं, और मैं – अकेला. मैं अकेला इतना सारा
काम नहीं कर सकता.”
गैण्डे जवाब में हँसने लगे:
“हम, और तुम्हारी मदद करेंगे! हमारा शुक्रिया अदा
करो, कि हमने अपने सींगों से तुम्हें लहुलुहान नहीं कर दिया!”
डॉक्टर को दुष्ट गैण्डों पर बहुत गुस्सा
आया और वह पड़ोस के जंगल में भागा, जहाँ धारियों वाले शेर रहते थे.
“शेरों, शेरों! बन्दरों का इलाज करने में मेरी मदद
करो!”
“र् र् र्!” धारियों वाले शेरों ने जवाब दिया.
“भाग जा, जब तक सही सलामत है!”
डॉक्टर बड़े दुखी मन से वहाँ से लौटा.
मगर जल्दी ही उन क्रूर जानवरों को कड़ी सज़ा
मिल गई.
जब सिंह घर वापस लौटा, सिंहनी ने उससे
कहा:
“हमारा नन्हा शावक बीमार हो गया है – दिन भर रोता
रहा और कराहता रहा. कितने अफ़सोस की बात है कि अफ्रीका में मशहूर डॉक्टर आयबलित
नहीं है! वह बहुत ग़ज़ब का इलाज करता है. बेकार में ही सब उससे प्यार नहीं करते. वह
हमारे शावक का इलाज ज़रूर करता.”
“डॉक्टर आयबलित यहीं है,” सिंह ने कहा. “वहाँ,
उन चीड़ के पेड़ों के पीछे, ‘बन्दरों के देश’ में! मैंने अभी-अभी उससे बात की है.”
“कितनी ख़ुशी की बात है!” सिंहनी चहकी. “भाग कर
जाओ, और उसे हमारे शावक के पास लाओ!”
“नहीं,” सिंह ने कहा, “मैं उसके पास नहीं
जाऊँगा. वह हमारे शावक का इलाज नहीं करेगा, क्योंकि मैंने उसका अपमान किया है.”
“तुमने डॉक्टर आयबलित का अपमान किया! अब हम क्या
करेंगे? क्या तुम्हें मालूम है कि डॉक्टर आयबलित सबसे बढ़िया, सबसे मशहूर डॉक्टर
है? सिर्फ वही अकेला है, जो जानवरों की भाषा में बात कर सकता है. वह शेरों का इलाज
करता है, मगरमच्छों का इलाज करता है, खरगोशों का इलाज करता है, बन्दरों और मेंढकों
का भी इलाज करता है. हाँ, हाँ, वह मेंढकों का भी इलाज करता है, क्योंकि वह बहुत
भला इन्सान है. और ऐसे इन्सान का तुमने अपमान किया! और अपमान भी तब किया, जब
तुम्हारा ख़ुद का शावक बीमार है! अब तुम करोगे क्या?”
सिंह की बोलती बन्द हो गई. उसे समझ में
नहीं आ रहा था कि क्या कहे.
“उस
डॉक्टर के पास जाओ,” सिंहनी चीखी, “और माफ़ी मांगो! उसकी हर संभव सहायता करो. जो वह
कहे, वो सब करो, और उससे विनती करो कि वह हमारे बीमार शावक को ठीक कर दे!”
कोई चारा नहीं था, सिंह डॉक्टर आयबलित के
पास पहुँचा.
“नमस्ते,”
उसने कहा. “मैं अपनी बदतमीज़ी के लिए माफ़ी मांगने आया हूँ.
मैं आपकी मदद करने को तैयार हूँ...मैं
बन्दरों को दवाई देने और उन पर हर तरह की पट्टियाँ रखने के लिए तैयार हूँ.”
और सिंह आयबलित की मदद करने लगा. तीन दिन
और तीन रात वह बीमार बन्दरों की ख़िदमत करता रहा, और फिर डॉक्टर आयबलित के पास जाकर
नम्रता से बोला:
“मेरा
शावक बीमार हो गया है, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ...प्लीज़, मेहेरबानी करके
बेचारे नन्हे सिंह को ठीक कर दीजिए!”
“ठीक
है!” डॉक्टर ने कहा. “बड़ी ख़ुशी से! आज ही मैं तुम्हारे शावक को ठीक कर दूँगा.”
और वह सिंह की गुफ़ा में गया और उसके शावक
को ऐसी दवा दी कि वह एक घण्टे में ही अच्छा हो गया.
सिंह बहुत ख़ुश हुआ, उसे शरम भी आई कि उसने
एक भले डॉक्टर का अपमान किया था.
इसके बाद गैण्डों के और शेरों के शावक भी
बीमार हो गए, डॉक्टर आयबलित ने फ़ौरन उनका इलाज कर दिया. तब गैण्डे और शेर बोले:
“हमें
बेहद अफ़सोस है कि हमने आपका अपमान किया!”
“कोई
बात नहीं, कोई बात नहीं,” डॉक्टर ने कहा. “अगली बार ज़्यादा होशियारी से काम लेना. और
अब यहाँ आओ – बन्दरों का इलाज करने में मेरी मदद करो.”
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