रविवार, 7 सितंबर 2014

डॉक्टर आयबलित - 1.13

अध्याय 13

उपहार

जानवरों ने डॉक्टर की इतनी अच्छी तरह से मदद की कि बीमार बन्दर जल्दी ही अच्छे हो गए.

“डॉक्टर का बहुत बहुत धन्यवाद कि उसने हमें इस भयानक बीमारी से अच्छा कर दिया, और इसके लिए हमें उसे एक बहुत अच्छा तोहफ़ा देना चाहिए. उसे हम ऐसा जानवर भेंट करेंगे, जिसे लोगों ने कभी देखा तक नहीं है.
जैसा न तो किसी सर्कस में है,
न ही किसी ज़ू-पार्क में.

“उसे ऊँट देंगे!” एक बन्दर चिल्लाया.

 “नहीं,” चीची ने कहा, “उसे ऊँट नहीं देना चाहिए. ऊँट तो वह देख चुका है.

ऊँटों को सभी लोग देख चुके हैं. ज़ू-पार्क में भी, और रास्तों पर भी.”

 “तो फिर, शुतुरमुर्ग!” दूसरा बन्दर चिल्लाया. “हम उसे शुतुरमुर्ग देंगे!”

 “नहीं,” चीची ने कहा, “शुतुरमुर्ग भी वह देख चुका है.”

 “और क्या उसने त्यानितोल्काय को देखा है?” तीसरे बन्दर ने पूछा. (त्यानितोल्काय का मतलब होता है – खींचो-धकेलो – अनु.)

 “नहीं, त्यानितोल्काय को उसने कभी नहीं देखा है,” चीची ने जवाब दिया. “अभी तक एक भी ऐसा आदमी नहीं है, जिसने त्यानितोल्काय को देखा हो.”



 “अच्छा,” बन्दर बोले. “अब हम समझ गए कि डॉक्टर को क्या देना चाहिए: हम उसे त्यानितोल्काय भेंट में देंगे!”

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