12
डैडी
और उनकी गर्ल-फ्रेंड
जब डैडी छोटे थे तो एक लड़की से उनकी
दोस्ती हुई. उसका नाम था माशा. वो भी छोटी थी. वो दोनों बड़ी अच्छी तरह से खेलते
थे. वो रेत पर ख़ूबसूरत सा घर बनाते. वो बड़े से डबरे में छोटे-छोटे जहाज़ तैराते. इस
डबरे में वे मछलियाँ भी पकड़ते. हालाँकि वे कुछ भी नहीं पकड़ पाते, मगर वे बहुत ख़ुश
रहते थे.
छोटे डैडी को इस लड़की के साथ खेलना बहुत
अच्छा लगता था. वो उनके साथ कभी भी झगड़ा नहीं करती थी, उन पर कंकड़ नहीं फेंकती थी
और उनके रास्ते में पैर अड़ाकर उन्हें गिराती नहीं थी.
अगर छोटे डैडी की पहचान के
सभी लड़के ऐसे ही होते तो उन्हें बहुत ख़ुशी होती. मगर वो तो अलग ही तरह के थे. वे
छोटे डैडी को चिढ़ाते कि उनकी एक लड़की से दोस्ती है. वो गाते:
टिली-टिली टूला!
दुल्हन और दूल्हा!
वे पूछते:
“शादी कब हो रही है?”
वे छोटे डैडी
से जानबूझकर इस तरह से बात करते जैसे किसी छोटी लड़की से बात कर रहे हों. वे उनसे
पूछते:
“तू आ गई? कहाँ थी तू?”
उनका ख़याल था
कि किसी लड़के को लड़कियों से दोस्ती करने में शरम आनी चाहिए.
छोटे डैडी को
उन लड़कों पे बेहद गुस्सा आता, वो रो भी देते.
मगर छोटी
बच्ची माशा सिर्फ मुस्कुरा देती. वह कहती:
“चिढ़ाने दो!”
इसलिए माशा को
चिढ़ाने में लड़कों को कोई मज़ा नहीं आता. तो, सारे लड़के सिर्फ छोटे डैडी को चिढ़ाते.
माशा की तरफ़ वे ध्यान ही नहीं देते.
मगर एक दिन
कम्पाऊण्ड में एक बड़ा कुत्ता भागता हुआ आया. अचानक कोई चिल्लाया:
“पागल कुत्ता है!”
सबसे बहादुर
लड़के भी सिर पे पाँव रखकर भागे. छोटे डैडी अपनी जगह पे मानो जम गए. कुत्ता एकदम
पास में था. तब माशा डैडी के पास जाकर खड़ी हो गई और कुत्ते के सामने अपना हाथ हिला-हिलाकर उसे भगाने लगी:
“चल भाग!” उसने कहा.
अब सबने देखा कि
पागल कुत्ता पूंछ दबाकर कम्पाऊण्ड से भाग गया. सब समझ गए कि वह पागल नहीं था. वह गलती
से दूसरों के कम्पाऊण्ड में आ गया था. और कुत्ते अपने और दूसरों के कम्पाऊण्ड अच्छी
तरह पहचानते हैं. दूसरों के कम्पाऊण्ड में सबसे खूँखार कुत्ता भी कम भौंकता है.
जब सब लड़कों ने
देखा कि कुत्ता पागल नहीं है तो वे उसे पत्थरों से और डंडों से भगाने लगे. मगर इसके
लिए भी बड़ी बहादुरी की ज़रूरत थी. ये बात कुत्ता भी समझता था. वह उछल कर बाहर रास्ते
पर आ गया, वहाँ पर रुका और गुर्राने लगा. अब सारे लड़के अपने कम्पाऊण्ड में लौट आए और
छोटे डैडी को चिढ़ाने लगे.
“सबसे ज़्यादा तू डरा था,” वे बोले, “भाग भी नहीं
सका...कैसा है रे तू!”
मगर छोटे डैडी
ने जवाब दिया:
“हाँ, मैं डर गया था. और, तुम सब भी डर गए थे. सिर्फ
माशा नहीं डरी.”
अब सारे लड़के चुप
हो गए. उन्हें बहुत शर्म आ रही थी. मगर माशा ने कहा:
“नहीं, मैं भी डर गई थी.”
अब सब लोग हँसने
लगे. इसके बाद किसी ने भी छोटे डैडी को कभी नहीं चिढ़ाया. छोटी लड़की माशा से उनकी दोस्ती
लम्बे समय तक बनी रही.
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