17. लन्दन की कैब का घोड़ा
देहात
में पले-बढ़े घोड़े के लिए लन्दन एक अचरजभरी जगह थी, शोर-गुल
और चहल-पहल से भरपूर.
इस
महान शहर की सड़कें घोड़ों और टट्टुओं से, घोड़ागाड़ियों
और छकड़ों से – याने कि हर उस चीज़ से जो पहियों पर चल सकती है – भरी हुई थी. रात का
वक्त था, मगर जितने आदमी यहाँ स्ट्रीट-लैम्पों के नीचे थे,
उतने मैंने पहले कभी नहीं देखे थे.
यहाँ
रास्ते, रास्ते और रास्ते थे. आख़िरकार मेरे
नए मालिक ने किसी को आवाज़ दी : “हम वापस आ गए.” हम एक रास्ते पर जा रहे थे जहाँ एक
जगह, कैब स्टैण्ड पर एक के पीछे एक बहुत सारी घोड़ा गाड़ियाँ
खड़ी थीं.
“हैलो,
जैरी!” जवाब आया, “क्या तुम्हें अच्छा घोड़ा
मिला?”
“मेरा
ख़याल है कि मिला है. यह देखने में तो बहुत बढ़िया है.”
“मुझे
बड़ी ख़ुशी हुई, जैरी. गुड नाइट!”
फिर
हम फ़ौरन एक रास्ते पर ऊपर की ओर गए, और फिर एक और
रास्ते पर आए, जहाँ एक ओर छोटे-छोटे, दिखने
में मामूली से घर थे और दूसरी तरफ़ अस्तबल और घोड़ागाड़ियों के रखने की जगह थी.
मेरे
मालिक ने मुझे एक छोटे से घर के सामने रोका और पुकारा : “क्या तुम लोग अभी तक जाग
रहे हो?”
दरवाज़ा
खुला और एक जवान औरत एक छोटी लड़की और एक लड़के के साथ भागकर बाहर आई. जब मेरा मालिक
काठी से नीचे उतरा तो वे ख़ुशी से चिल्लाए : “हैलो! हैलो! हैलो!”
“लो,
मैं आ गया. और देखो, ये मैं क्या लाया हूँ!”
उसने कहा. “तो, हैरी, अस्तबल का दरवाज़ा
खोलो, और मैं इसे अन्दर लाता हूँ.”
जल्दी
ही हम छोटे-से अस्तबल में थे. औरत के हाथ में एक लैम्प था,
और वे मेरी ओर देख रहे थे.
“क्या
ये अच्छा है, पापा?”
“हाँ,
डॉली, उतना ही अच्छा, जितनी
कि तुम हो! आओ और उसे थपथपाओ.”
फ़ौरन
एक नन्हा सा हाथ मुझे थपकी देने लगा. छोटी बच्ची को ज़रा भी डर नहीं लग रहा था और
मैं जान गया था, कि वह बहुत भली है, और मैं उससे प्यार करने वाला हूँ.
“मैं
इसके लिए अच्छा खाना लाती हूँ, जैरी,” औरत ने कहा, “और तुम इसकी मालिश करो.”
“हाँ,
यही हम सब करते हैं, पॉली,” वह बच्चों से मुख़ातिब होकर बोला. “जब घोड़ा मेहनत करके भीग गया हो, तो हमेशा उसकी मालिश करो. इससे उनका बदन ठण्डा होने पर उन्हें सर्दी नहीं
लगेगी.”
जैरी
अपनी बीबी पॉली से, और अपने बारह साल के बेटे
हैरी, तथा आठ साल की बेटी डॉली से बहुत प्यार करता था. वे सब
भी उससे बहुत प्यार करते थे. इनसे ज़्यादा सुखी लोग मैंने पहले कभी नहीं देखे.
वे बहुत ग़रीब थे, क्योंकि गाड़ीवान को कभी भी
ज़्यादा पैसे नहीं मिलते, मगर वे बहुत भले थे, और ऐसा लगता था कि उनका प्यार इस छोटे से घर से होकर अस्तबल तक आता था.
जैरी
के पास अपनी कैब और दो घोड़े थे. दूसरा घोड़ा बड़ा, बूढ़ा,
सफ़ेद था. उसका नाम था कैप्टेन. उस रात कैप्टेन ने मुझे लन्दन के
कैब-घोड़ों के बारे में बताया.
“लन्दन
जैसे बड़े शहर में इधर से उधर जाने के लिए लोग हैंन्सम-कैब या घोड़ा-टैक्सी का
इस्तेमाल करते हैं. हैन्सम-कैब खड़ी दुपहिया गाड़ी होती है,
जिसके अन्दर सीटें और एक टप होता है. गाड़ीवान टप के बाहर ऊँची सीट
पर बैठता है.”
“कैब
में, एक वक्त में, हम दोनों
में से कोई एक ही घोड़ा जोता जाता है,” उसने कहा. “हमारा
मालिक सोमवार से शनिवार तक रोज़ सोलह घण्टे काम करता है. यह बहुत मुश्किल काम है,
मगर जैरी कभी भी बुरा बर्ताव नहीं करता. कई गाड़ीवान दुष्ट होते हैं,
मगर जैरी वैसा नहीं है. तुम उससे प्यार करने लगोगे.”
कैप्टेन
गाड़ी के साथ सुबह गया. स्कूल के बाद हैरी अस्तबल में आया,
मुझे खाना और पानी देने के लिए.
जब
जैरी खाना खाने के लिए घर आया, तो पॉली ने गाड़ी
की सफ़ाई की, और हैरी ने मुझ पर ज़ीन कसने में जैरी की मदद की.
उन्होंने मेरी कॉलर और ज़ीन के अन्य भागों को कसने में काफ़ी वक्त लिया, ताकि वह मुझ पर सख़्ती से न घिसे और मेरे बदन पर फ़फ़ोले न पड़ जाएँ. यह बहुत
ज़रूरी था. यहाँ बेयरिंग लगाम नहीं थी, और मुखरी भी नहीं चुभती
थी.
“मेरा
ख़याल है, कि वह इस तरह ख़ुश रहेगा.”
“इसका
नाम क्या है?” पॉली ने पूछा.
जिस
आदमी ने इसे बेचा उसे मालूम नहीं था. क्या हम इसका नाम जैक रखें,
पॉली, पिछले घोड़े की तरह?”
तो,
इस तरह नए नाम के साथ मैं लन्दन के कैब-घोड़े के रूप में काम करने लगा.
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