16.
बेचा गया.
मैं
बड़ी देर तक वहाँ इंतज़ार करता रहा. दर्द भयानक था और कभी-कभी मुझे लगता कि मैं फिर
से गिर पडूँगा .
आख़िरकार मैंने
मैक्स की और छकड़े की आवाज़ सुनी जो पत्थरों के ऊपर से आ रहे थे. मैंने चिल्लाकर
मैक्स को पुकारा,
और उसने जवाब दिया.
छकड़े
में दो साईस थे. वे रुबेन को ढूँढ़ने आए थे. उनमें से एक कूदकर रास्ते पर निश्चल
पड़े शरीर की ओर गया.
“यह
रुबेन है,” उसने कहा, “यह
मर गया है – ठंडा और मुर्दा!”
दूसरा
साईस छकड़े से कूदकर मेरे पास आया. छकड़े के लैम्प की रोशनी में उसने देखा कि मेरे
पैर बुरी तरह से कटे हैं और उनमें से ख़ून बह रहा है.
“ब्लैक
ब्यूटी गिर गया था!” उसने कहा
“ब्लैक
ब्यूटी! हमने कभी सोचा भी न था, कि वह गिर पड़ेगा.
क्या हुआ था?”
उसने
मुझे छकड़े की ओर ले जाने की कोशिश की और मैं फिर से करीब-करीब गिर ही पड़ा.
“ओह!”
उसने कहा, “ब्लैक ब्यूटी का पैर भी ज़ख़्मी है.
देखो, यह कितनी बुरी तरह कटा है! और नाल भी नहीं! रुबेन तो
कभी बिना नाल के घोड़े पर सवार नहीं होता. मुझे डर है कि यह शराब की ही वजह से हुआ
होगा! मैं उसके बदन को सूँघ सकता हूँ.”
उन्होंने
रुबेन के शरीर को छकड़े में डाला और एक साईस उसे अर्ल्स हॉल की ओर ले चला. दूसरे
आदमी ने बड़ी अच्छी तरह से मेरे ज़ख़्मों को साफ़ करके उन पर पट्टी बांधी,
मेरे ज़ख़्मी पैर पर कपड़ा लपेटा और मुझे रास्ते के किनारे-किनारे,
घास के ऊपर से ले चला.
हर
कदम पीड़ादायक था. मेरी टाँगों के ज़ख़्म और मेरा ज़ख़्मी पैर लगातार दर्द कर रहे थे,
मगर आख़िरकार हम घर पहुँच ही गए.
ज़ख़्मों
को भरने में कई हफ़्ते लग गए. साईसों ने यथासंभव मेरी सहायता की,
मगर ज़ख़्म बहुत गहरे थे. वे इस बात का ध्यान रखते कि ज़ख़्म साफ़ रहें,
और वे हर रोज़ पट्टियाँ बदलते. जब मैं चलने लायक हुआ, तब उन्होंने मुझे एक छोटे खेत में रखा. वहाँ मेरे पैर का पंजा और मेरी
टाँगें कई हफ़्तों बाद ठीक हुईं. गहरे ज़ख़्मों और चोटों को पूरी तरह ठीक होने के लिए
आराम की बहुत ज़रूरत होती है.
एक
दिन लॉर्ड वेस्टलैण्ड यॉर्क के साथ खेत में आए. उन्होंने मेरी टाँगों की ओर देखा.
चोटें तो काफ़ी ठीक हो गई थीं, मगर उनके निशान
अभी तक वहाँ थे.
“क्या
ये निशान मिटेंगे?” लॉर्ड वेस्टलैण्ड ने पूछा.
“नहीं,
लॉर्ड, मुझे डर है, कि
नहीं मिटेंगे,” यॉर्क ने जवाब दिया. “वे हमेशा रहेंगे.”
लॉर्ड
वेस्टलैण्ड को गुस्सा आ गया. “फिर तो हमें उसे बेच देना चाहिए,”
वे बोले. “कितने नुक्सान की बात है, मगर मैं ऐसी
टाँगों वाले घोड़े को अपने अस्तबल में नहीं रख सकता. मुझे बहुत अफ़सोस है, क्योंकि मेरे दोस्त गॉर्डन चाहते थे, कि ब्लैक ब्यूटी
को यहाँ एक अच्छा घर मिले, और मैंने वादा भी किया था उसकी देखभाल
करने का. मगर तुम इसे बेचने के लिए हैम्पस्टॅड भेज देना”
इस
तरह एक दिन मुझे हैम्पस्टॅड ले जाया गया, जब वहाँ घोड़े
बेचे जा रहे थे.
कई
लोग मुझे देखने के लिए आये. अमीर आदमी जैसे ही मेरी टाँगों के निशान देखते,
दूर हट जाते. दूसरे लोग मेरे चारों ओर चक्कर लगाते, मेरे मुँह को खींच कर खोलते, मेरी आँखों को देखते,
मेरी टाँगों पर हाथ फेरते, मुझे धीमी और दुलकी
चाल चलाते. कोई यह सब बड़े सख़्त हाथ से करता, उनके लिए मैं बस
एक मशीन भर था. कुछ और लोग मुझसे हौले से बातें करते, और धीरे
से अपने प्यार भरे हाथों से छूते, मुझे थपथपाते और मेरे बारे
में कुछ और जानकारी हासिल करते.
मुझे
एक भला आदमी बेहद पसन्द आया. “मैं इसके साथ ख़ुश रहूँगा,”
मैंने सोचा. उसके पास से बहुत अच्छी ख़ुशबू आ रही थी, और मुझे मालूम था कि वह घोड़ों को पसन्द करता था और उनके प्रति दयालु था. यह
एक छोटा आदमी था, मगर धीरे-धीरे और यकीन के साथ चल रहा था,
और उसके हाथ तथा उसकी आँखें दोस्ताना थीं. उसने मेरी लगाम पकड़ी और हौले
से मेरी गर्दन थपथपाई.
“इस
घोड़े के लिए मैं तेईस पाऊण्ड दूँगा,” उसने कहा.
मगर
जो आदमी मुझे बेच रहा था, वह ज़्यादा चाहता था.
“पच्चीस
पाऊण्ड बोलो, तो तुम इसे ले जा सकते हो.”
“चौबीस
से ज़रा भी ज़्यादा नहीं,” छोटा आदमी बोला.
“ठीक
है. मैं चौबीस ले लूँगा, और तुम्हें अपने पैसों के लिए
बहुत बढ़िया घोड़ा मिला है. अगर तुम्हें कैब के लिए ज़रूरत है तो तुम इससे बहुत ख़ुश रहोगे.”
पैसे
दे दिए गए, और मेरा नया मालिक मुझे एक होटल में
लाया, जहाँ एक ज़ीन तैयार थी. उसने मुझे बहुत बढ़िया खाना दिया
और जल्दी ही हम लन्दन के लिए निकल पड़े.
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