रविवार, 8 अक्टूबर 2023

Chuk & Gek - 13

 

13

लेखक: अर्कादी गैदार 

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 

 

दिन में साफ़ सफाई की, दाढी बनाई, नहाए.

और शाम को सबके लिए क्रिसमस ट्री की पार्टी थी, और सबने एक साथ मिलकर नए साल का स्वागत किया.

जब मेज़ सज गई तो लैम्प बुझा दिए गए और मोमबत्तियां जलाई गईं. मगर चूंकि चुक और गेक को छोड़कर बाकी सब लोग बड़े थे, तो वे , बेशक, नहीं जानते थे कि अब क्या किया जाए.

ये तो अच्छी बात थी कि एक आदमी के पास एकोर्डियन था और वह मस्ती भरी नृत्य की धुन बजाने लगा. तब सब उछल पड़े, और सबका मन डांस करने के लिए मचल उठा. और सबने बहुत खूबसूरती से डांस किया, ख़ास कर तब, जब मम्मा को डांस के लिए बुलाया गया.


मगर पापा को तो डांस करना आता नहीं था. वे बहुत भारी बदन के, अच्छे दिल के इंसान थे, और जब वे बिना डांस के फर्श पर चलते, अलमारी में सारे बर्तन झनझनाने लगते.

उन्होंने चुक और गेक को घुटनों पर बिठा लिया और वे जोर जोर से सबके लिए तालियाँ बजाने लगे.

फिर डांस ख़त्म हुआ, और लोगों ने फरमाइश की कि गेक कोई गाना गाये. गेक ने नखरे नहीं दिखाए. वह जानता था कि वह गाने गा सकता है, और उसे इस बात पर गर्व था.

 

 

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